8 लाख योनियों में सबसे उत्तम मनुष्य जीवन है मानव जीवन में हर मनुष्य की इच्छा होती है की परिवार में सब मंगल कार्य हो पद पुत्र प्रतिष्ठा मिले और परिवार में सुख समृद्वि आए।
इसके लिए आपको प्रत्येक दिन पूजा घर में एक दीपक और सांयकाल में प्रवेश द्वार पर एक दीपक इसके साथ ही शनिवार के दिन देव स्थल पर एक दीपक अवश्य प्रज्वलित करे |
आने वाले दिन में आपको ऐसा प्रतीत होगा की मेरे परिवार पर देवाधिदेव भगवान शंकर की अपार कृपा बरस रही है
( 1 ) समाज के दबे कुचले दिव्यांग निराश्रित व अनाथ बालक के कल्याणार्थ कार्य एवं इन लोगों को स्वावलम्बी बनाने हेतु गृह उद्योग स्थापित करना ।
( 2 ) उपरोक्त लोगों के बच्चों को शिक्षित कराने का कार्य ।
( 3 ) सामूहिक विवाह ।
( 4 ) पौध रोपण का कार्य ।
( 5 ) स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवा ।
( 6 ) महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल पर सुन्दरीकरण का कार्य ।
( 7 ) समिति के उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए जनमानस से आर्थिक सहयोग प्राप्त करना ।
( 8 ) दिव्यांग कल्याणार्थ उपकरण वितरित करने का कार्य ।
( 9 ) छात्र छात्राओं को प्रतिभावान बनाने हेतु प्रतियोगिता आयोजित करना एवं उन्हें पुरस्कृत करना ।
( 10 ) सांस्कृतिक धार्मिक आयोजन करना ।
( 11 ) गोशाला का निर्माण एवं छात्र छात्राओं हेतु छात्रावास का निर्माण ।
( 12 ) ग्रामवासियों को जीवन की मूल आवश्यकता में उन्हें स्वावलम्बी बनान आपस में सहयोग एवं राष्ट्रीय एकता की भावना उत्पन्न करना ।
( 13 ) गाँव में दैवी आपदाओं के समय समिति की ओर से राहत कार्यों क आयोजन करना एवं लोगों की हर सम्भव मदद करना ।
( 14 ) ग्रामीण विकास हेतु गाव में ग्रामयोगी इकाइयों को स्थापित करना ।
( 15 ) समिति के उद्देश्य पूर्ति हेतु चल - अचल सम्पत्ति प्राप्त करना तथा नियमित रूप से उसका प्रबन्ध एवं विनियम करना ।
( 16 ) गांव में पुस्तकालय , वाचनालय , व्यायामशाला एवं खेलकूद की सुविधा उपलब्ध कराने में सरकार से मदद लेकर कार्यान्वित करना ।
( 17 ) ग्रामीण अंचलों में वृक्षारोपण , श्रमदान . सफाई , दहेज उन्मूलन , गो सेवा तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों को सम्पादित करना / करवाना ।
( 18 ) महिलाओं तथा बच्चों के कल्याण हेतु योजनाएं चलाना ।
( 19 ) समिति की ओर से गांव में किसानों एवं नवयुवकों को निःशुल्क ग्रुप फार्मेशन हेतु फार्मर मोबिलाइजेशन का कार्य करते हुए उन्हें आत्म निर्भर बनाने का हर सम्भव प्रयास करना ।
( 20 ) समिति की ओर से ग्रामीण अचलों में कृषि , बागवानी , फल संरक्षण श्रेशम उत्पादन का कार्य संचालन कर ग्रामीण युवकों एवं युवतियों को प्रोजगार उपलब्ध कराने का एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना ।
( 21 ) प्राकृतिक आपदा पर सहयोग करना ।